मम अंतर्नाद

मम अंतर्नाद
मेरा एकल ग़ज़ल संग्रह

मंगलवार, 26 जुलाई 2022

 


🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤


जिनके बग़ैर जीने की हसरत कभी न थी

उनके बग़ैर दोस्त जिये जा रहा हूँ मैं


इतना गिरा दिया मुझे मेरे मयार से

अब खुद को भी पहचान नहीं पा रहा हूँ मैं... 


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